जिस दिन
पेन और डायरी की
गुफ्तगू नहीं होती
उदास रहती हैं
मेरी उँगलियाँ
जिस दिन तुम्हें
लिखती हूँ
काग़ज़ पर ,
महकती हैं फिर सारा दिन
मेरी उंगलियां
काग़ज़ की पेशानी पर
पड़ी सिलवट को जो हटाया
तो एक हैरानी उतर आयी
मेरी उंगलियों में
कस कर मुट्ठी में बांधना
दुनिया का सबसे मुश्किल काम है
तुम्हें छूने की
ज़िद में पगलाई
मेरी उंगलियों को
Pushpindra Chagti Bhandari
