पेन और डायरी की गुफ्तगू -Pushpindra Chagti Bhandari

जिस दिन
पेन और डायरी की
गुफ्तगू नहीं होती
उदास रहती हैं
मेरी उँगलियाँ

जिस दिन तुम्हें
लिखती हूँ
काग़ज़ पर ,
महकती हैं फिर सारा दिन
मेरी उंगलियां

काग़ज़ की पेशानी पर
पड़ी सिलवट को जो हटाया
तो एक हैरानी उतर आयी
मेरी उंगलियों में

कस कर मुट्ठी में बांधना
दुनिया का सबसे मुश्किल काम है
तुम्हें छूने की
ज़िद में पगलाई
मेरी उंगलियों को

Pushpindra Chagti Bhandari

Pushpindra Chagti Bhandari

mediapanchayat

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रेम का अलाव-शोभा किरण

Thu May 21 , 2020
रिस्ते मर जाते हैं धीरे धीरे।सबसे पहले मरता है लगाव,कम होता जाता है प्रभाव।थमती जाती हैं बातें,जड़ होती जाती हैं रातें।ठंढा पड़ता जाता है,दिल में जल रहे प्रेम का अलाव।कोई करीबी,दे जाता है, जख्म,घाव। फिर रुकना,मिलना ,ठहरना,,कुछ मायने नहीं रखता।सब कुछ बेमानी सा,वही खास आम होने लगता है।मन मे बसने […]