त किसी एक वर्ग के धरोहर नहीं

त किसी एक वर्ग के धरोहर नहीं

:-संजय सिन्हा, चिंतक

 

 

त किसी एक वर्ग के धरोहर नहीं

संत रविदासजी समाज के सभी वर्गों के सर्वमान्य संत व्यक्ति थे उनकी कृष्ण भक्ति राम भक्ति से बड़े बड़े पंडित साधु एवं उनके करीबी लोग निशब्द रहते थे,संत रविदासजी कभी भी समाज के लोगों को अपना या पराया नहीं समझें सभी में अपने को देखते थे भले वो छोटे बड़े काम करने वाले हो भीक्षा या पूजा पाठ करने वाले हो? संत को सभी अपने थे, सनातन संस्कृति कृष्ण भक्ति से ओह पोह थे भेदभाव करने वाले को वो कभी गंभीरता से नहीं लेतें थे, वे ऐसे व्यक्ति को सनातन संस्कृति से अधुरा मानते थे, हाँ समाज उनके प्रभु भक्ति से जरूर ईष्या करते थे ईष्या करने वाले सिर्फ साधु संत ही नहीं थे बल्कि ज्यादा उनके आसपास के लोगों थे जिसे आप आजके राजनीतिक शब्दावली में दलित कहते हैं, अच्छे लोगों से ईष्या आज भी है और पूर्व में भी रहा है, इसलिए संत रविदासजी किसी एक समाज के न होकर सभी सनातनी के आर्दश थे और जुगों जुगांत रहेगें, संत रविदासजी जी एक विचार थे जो आज भी प्रासंगिक हैं, आज समाज के कुछ राजनीति अगुआ मानते हैं कि संत रविदासजी, ज्योति बाई फुले, डा.रामभीम राव अम्बेडकर जैसे महान पुरुषों पर सिर्फ उनके पेटेंट है जो कि ऐसा हो नहीं सकता? समाज के ऐसे नेता जो हमारे ही समाज के आर्थिक रूप से, साक्षर रूप से या मानसिक रूप से पिछड़े को बरगला कर उन्हें सिमित करना चाहते हैं देश के मुख्यधारा से अलग थलग करने का असफल प्रयास करते हैं, कोई एक समाज का व्यक्ति भौगोलिक व्यक्ति नहीं बन सकता इसका एक उदाहरण है जोगिन्दर नाथ मंडल जो बटवारे के समय जिन्ना एवं मुस्लिम लीग का साथ दिया बंगाल के विभाजन में अग्रणी बनें और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को पाकिस्तान के हवाले कर दिया जिसे जोगिन्दर नाथ मंडल अपनी बपौती समझते थे, वैसे गरीब अनपढ़ व्यक्ति जाने को पूर्वी पाकिस्तान (अब बंगलादेश) चले गए परंतु वहाँ न तो अपनी आबरु बचा सकें और न ही धर्म आज वैसे सभी परिवार का या तो धर्म परिवर्तन हो गया या मारे गए और जब जोगिन्दर नाथ मंडल अपने को पाकिस्तान में असहज पाये तो बेशर्म के तरह सभी गरीब असहाय को छोड़ कर पून: भारत के कलकत्ता शहर के गाँव में आकर अज्ञातवास की जीवन बिताया और सन् 1969 में उनकी मृत्यु हो गई, आज हमारे ठिकेदार नेताओं को यह भी नहीं मालूम होगा कि जोगिन्दर नाथ मंडल कौन थे? सन् 1940 के बाद के अंबेडकर और जोगिन्दर नाथ मंडल में बड़े नेता जोगिन्दर नाथ मंडल हो गयें थे वे अंबेडकर को लोकसभा चुनाव जितवाने की गारंटी बंगाल से देते थे परंतु हमारे डा. भीमराव अंबेडकर ने कभी जोगिन्दर नाथ मंडल को गंभीरता से नहीं लिया और अपने वतन के साथ खड़े रहे डाक्टर अंबेडकर को कभी लालच नहीं रहा कि कांग्रेस ने उन्हें दक्षिण पश्चिम बोम्बे से हरा भी दिया, इसलिए ये महान व्यक्ति किसी खास क्षेत्र जाति या समाज के नहीं होकर भौगोलिक व्यक्ति होतें है जिन्हें लोग युगों युगों याद करते हैं और वैसे व्यक्ति अमर कहलाते हैं और जोगिन्दर नाथ मंडल जैसा व्यक्ति सिर्फ एक गली मुहल्ले या जाति के नेता बनकर मर जाते हैं जिन्हें आप भी नहीं जानते होगें?

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