रूठ ना जाये कोई अपना
बढ़ के उसे मना लेना
बिछड़ सके ना कोई तुमसे यूं
अपना उसे बना लेना
जीवन में सब कुछ मिल जाता
सच्ची प्रीत नहीं मिलती
प्रेम करे जो दिल से उसको
अपना मीत बना लेना
भूल से भूल ना होने पाए
ऐसा कोई काम ना हो
मीत बना कर दिल का देखो
दिल ना फिर दुखा देना
आंखों की न बातें समझे
ऐसा वो अनजान नहीं
फिर भी दिल की बातें
धीरे -धीरे तुम बतला देना
जन्नत है जिस के कदमों में
मां ही ऐसी शक्ति है
देखो भूल से भी न तुम
इस जन्नत को ठुकरा देना
अंजू व रत्ती