मेरी माँ

मेरी माँ

मेरी माँ

कभी सख्त तुम फौलाद की तरह बनी
कभी नरम तुम मोम की तरह बनी ।
सहनशील तुम पृथ्वी की तरह ,
ममता तुम्हारी सागर की तरह ए माँ ।
सावली सलोनी तेरी सूरत
सादगी की मिसाल बनी ।।
कतरा – कतरा विष पिया तुमने सदा ,
ए माँ कुछ हद तक तुम शिव के जैसी बनी ।।
निराशा में तुम आस बनी ,
हम भटके तो तुम राह बनी
चुप रहकर किया कल्याण सदा
माँ तुम समर्पित जीवन की मिसाल बनी ।।
कभी जीजाबाई कभी पन्नाधाय
कभी अनुसूया कभी यशोदा बनी ।।
मेरे दिल में हमेशा आपके लिए प्यार और सम्मान रहेगा यू ही ,
क्युकी तुम जीवन देने वाली और बचाने वाली पतवार बनी ।।।।

श्री मति लोकेश चौधरी
कवयित्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता
गुरुग्राम हरियाणा

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