रंगी मैं श्याम रंग-डा० ममता गाबा

॥जीवन परिचय ॥
नाम- डा० ममता गाबा
पति का नाम- श्री अशोक कुमार गाबा
उपनाम- गाबा
जन्मतिथि-10.01.1966
जन्मस्थान-शाहबाद मारकंडा(हरियाणा)
शिक्षा-बी० ए०, एम० ए०,एम० फिल, पी० एच० डी०(संस्कृत), बी० एड०।
अध्यापन कार्य-संस्कृत एवम् हिन्दी शिक्षिका
समय अवधि-15 वर्ष(अध्यापन कार्य)
सम्प्रति-अध्यापन कार्य( हिन्दी एवम् संस्कृत)
प्रकाशित कृतियाँ-
1.अनन्त सन्देश पत्रिका, कुरूक्षेत्र।
2.कलम के जादूगर द्वारा आयोजित काव्य प्रतियोगिताओं में प्रकाशित कविताएँ
3.महिला काव्य मण्डल द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में काव्य वाचन
4.भारतीय योग संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में योग एवम् ध्यान विषयक काव्य वाचन
5योग मंजरी पत्रिका में योग सम्बन्धी साहित्य एवम् काव्य लेखन
सम्मान एवम् पुरस्कार..
1. कलम के जादूगर टीम द्वारा सम्मानित।
2. महिला काव्य मंच द्वारा सम्मानित
3. इंटरनेशनल वॉमेंस डे पर महिला मोर्चा, बी जे पी द्वारा सम्मानित
4.संस्कृत भारती, नई दिल्ली द्वारा सम्मानित
5. भारतीय योग संस्थान द्वारा सम्मानित
6. डी. ए. वी. संस्था, कुरुक्षेत्र द्वारा सम्मानित
7. केशव कल्चर ग्रुप द्वारा सम्मानित
8. अनेक समाजसेवी संस्थाओं द्वारा सम्मानित
9. अध्यात्म के प्रति विशेष रुचि
10.योग एवम् ध्यान शिक्षिका
पत्राचार सम्पूर्ण..
डी.6, नर्मदा अपार्टमेंट, एन-1, 207,वसन्तकुंज, नई दिल्ली।
दूरभाष-9873352412
E mail- [email protected]

 

डा० ममता गाबा
डा० ममता गाबा

रंगी मैं श्याम रंग🙏🏻
परम पिता की हुई कृपा,गुरु जी का मिला संग।
मातपिता के दिव्य आशीषों से,रंग गई मैं तो श्याम रंग।
श्याम रंग में रंगने का सुख, ऐसा अद्भुत पाया है।
श्याम सुन्दर की युगल छवि ने तो,केशव कल्चर परिवार से मिलवाया है।
मनमोहक ऋतु वसन्त है आई,प्रेम महोत्सव हमने मनाया
राधाकृष्ण संग मिलकर सबने, फाग शगुन का गीत है गाया।
बसन्ती परिधान पहन कर,हम सब रंग गये श्याम के रंग।
ऐसा रंग चढ़ाया प्रियतम,जो भी देखे रह जाये दंग।
कान्हा से ऐसी प्रीत लगी,वृन्दावन जाने की प्यास जगी।
कान्हा के रंग में ऐसी रंगी,राधा सिमरन की धारा बही।
मेरा तन मन मंगल गाने लगा,हिय मन्द- मन्द मुस्काने लगा।
देखी जब बाँकी युगल छवि,इक आत्मज्योति ऐसी जली।
इक ज्ञान की सुन्दर बाती बनी,दिव्य चेतना कहने लगी।
हम केशव कल्चर परिवार पर कर दो, आशीषों की दिव्य बौछार,महके ये परिवार हमारा,हर जीवन हो सदाबहार।
दीप्ति जी द्वारा प्रदीप्त चौबीस दीयों से , हो जगमग सम्पूर्ण संसार।
(डा० ममता गाबा)
संस्कृत एवम् हिन्दी अध्यापिका
योग एवम् ध्यान शिक्षिका
नई दिल्ली।
(स्वरचित एवम् मौलिक रचना)

🙏🏻

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