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"बोनसाई बना मानव"
Thu Jun 4 , 2020
“बोनसाई बना मानव” विस्तार में बंधी हरी भरी बोनसाई,आज के मानव की सच्चाई,गमले की परिधि सी धरती,एक कमरे सा आसमान ,जड़ बौनी सिसकता आकर्षण,संकुचित हो गया वितान ,आकांक्षा के तारों में कसा हुआ,पीड़ा से खुद को सजा रहा ,झूठे सौंदर्य की छांव तले ,स्वच्छंद परिंदों को बुला रहा,फल फूल पत्तियां […]
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