मीडियापंचायत न्यूज़ नेटवर्क/महराजगंज:
(धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट)
तस्करों ने भारत-नेपाल बार्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए ‘रेकी’ का रास्ता अपनाया है। तस्कर इसे अपनी भाषा में “लाईन देखना” कहते हैं। दर्जनों की संख्या में युवक मोबाइल फोन लेकर सरहद से लगाए तस्करी के सामानों के गोदाम तक तैनात रहते हैं। जो सुरक्षा एजेंसियों के पल-पल की निगरानी रखते हैं, और तस्करी के सामान लाने वाले कैरियर को यह बताते रहते हैं कि रास्ता साफ है या नहीं? प्रति रेकी कर्ता को दिन के 300 रुपये व रात की रेकी करने के 500 रुपये दिए जा रहे हैं।
बानगी के तौर पर नौतनवा से खनुआ मार्ग पर हो रही उर्वरक की भारी तस्करी पर नज़र डालें, तो यहां तस्करों को पुलिस व कस्टम विभाग से तनिक भी खौफ़ नहीं है। क्योंकि उनकी तरफ से लाइन क्लियर है। यहां तस्करों के लिए सबसे बड़ा खौफ़ एसएसबी के 66 वीं बटालियन के जवान हैं। लेकिन तस्करों ने उनसे बच निकलने के लिए ‘रेकी’ का सहारा लिया है।
मिली जानकारी के मुताबिक हरदी डाली व खनुआ बीओपी की निगरानी के लिए दो-दो रेकीकर्ता तैनात रहते हैं। जो इस बात की जानकारी अपडेट करते हैं कि जवान गश्त के लिए किधर निकल रहे हैं। इसके अलावा सड़क के मोड़ों पर भी रेकी करने वाले मौजूद रहते हैं। इस तरह नौतनवा के बनैलिया मंदिर चौराहा एसएसबी की रेकी का जाल बिछा तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है।
पुलिस -कस्टम की कृपा और एसएसबी की रेकी से शनिवार व रविवार लाकडाउन के दिन भी तस्करी उन्नीस नहीं पड़ रही है।
कैसे टूट सकता है तस्करों के रेकी का जाल:
नौतनवा-खनुआ मार्ग पर बिछाए गए तस्करों के रेकी के जाल को तोड़ने के लिए एसएसबी को मुख्य नाकों पर ही पहरा लगाना पड़ेगा। बनैलिया मंदिर चौराहा व नौतनवा के ईदगाह चौराहा पर एसएसबी के मात्र दो जवान की ड्यूटी पर लग जाएं तो तस्करों का तिलस्म जमींदोंज हो सकता है।
बड़े अपराध को बढ़ावा है “रेकी”:
मात्र तस्करी के लिए ही बॉर्डर पर सुरक्षा एजेंसियों के कैंपों व जवानों के मूवमेंट को पल-पल नोट करना एक बड़े अपराध को बढ़ावा है। बॉर्डर पर पनप रहे ‘रेकी’ ट्रेनिंग को चीन व पाकिस्तान के जासूस आसानी से भुना सकते हैं और रेकी में जुटे गुमराह नौजवानों को आसानी से अपने आगोश में ले सकते हैं। जो विदेशी व अराजक तत्वों की घुसपैठ की राह आसान कर सकती है।
रेकी के लिए प्रयुक्त हो रही भारतीय व नेपाली सिमकार्ड :
सुरक्षा एजेंसियों की रेकी के लिए भारतीय सिम के साथ-साथ नेपाली सिम का भी प्रयोग किया जाता है। बॉर्डर क्षेत्र में कई स्थानों पर भारतीय दूरसंचार के नेटवर्क कमजोर व फेल हैं। इन स्थानों पर रेकी करने वाले नेपाली सिम कार्ड का उपयोग करते हैं।
Sun Aug 9 , 2020
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