फ़ोटो- गोरखा भूतपूर्व सैनिक स्कूल विवाद प्रकरण में धर्मेंद्र चौधरी के सवालों का जवाब देते अमर बहादुर थापा।
मीडिया पंचायत न्यूज़ नेटवर्क:
महराजगंज जिले के नौतनवा कस्बा में स्थित गोरखा भूतपूर्व सैनिक स्कूल काफी दिनों से स्कूल मैनेजमेंट विवाद को लेकर काफी चर्चा में है। इधर विवाद काफी गहराता जा रहा है। स्कूल की पांच डिसमिस भूमि तक बेच दिए जाने के आरोप हैं। इन तमाम आरोपों में घिरे अमर बहादुर थापा से मीडिया पंचायत की तरफ से पत्रकार धर्मेंद्र चौधरी ने सवाल किए।
सवाल : आपने स्कूल की भूमि बेची है?
अमर बहादुर थापा: मैने स्कूल की एक इंच भूमि नहीं बेची है। जो भूमि बेची गई है। वह स्कूल की नहीं, बल्कि मेरे द्वारा क्रय की गई निजी भूमि है।
सवाल : फिर आप पर आरोप क्यों?
अमर बहादुर थापा: कुछ लोग काफी दिनों से स्कूल मैनेजमेंट हथियाने की साज़िश कर रहे हैं। मेरे ऊपर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं कि स्कूल का पैसा खा गया। लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है।
सवाल : कौन लोग हैं वो क्या आप नाम बता सकते हैं?
अमर बहादुर थापा : हरि बहादुर गुरुंग, मनोज राना और अर्जुन राना आदि।
सवाल: गोरखा भूत-पूर्व सैनिक स्कूल से क्या नाता है आपका?
अमर बहादुर थापा:
वर्ष 1951 में भूतपूर्व ब्रिटश गोरखा सैनिकों ने इस स्कूल की नींव रखी थी। जिसमें मेरे दादा परदादा भी शामिल रहे। शुरुआत में मैंने व स्कूल के मैनेजर किशन बहादुर थापा ने नौतनवा क्षेत्र के करीब 700 गोरखा समुदाय के लोगों व अन्य सम्मानित लोगों से चंदा मांग कर स्कूल को खड़ा किया। मेरा पूरा जीवन इसी स्कूल के प्रति समर्पित रहा है।
सवाल : लिखापढ़ी में कहा तक है विवाद का मामला?
अमर बहादुर थापा: फ़िलहाल तो मैनेजमेंट विवाद का मामला न्यायालय व अधिकारियों तक है। भूमि बिक्री व स्वामित्व के बावत जो भी आरोप हैं। उसका कागजातों के आधार पर जवाब दुंगा।
सवाल : कुछ आरोप ऐसे भी हैं कि आप गोरखा समाज की छवि खराब कर रहे हैं?
अमर बहादुर थापा: मैं खुद एक गोरखा हूं। गोरखा समाज की एकजुटता के लिए हमेशा प्रयासरत रहा हूं। मैं गोरखा समाज की छवि धूमिल करने की कल्पना तक नहीं कर सकता।