मानें या न मानें! यह हकीकत है। भारत-नेपाल के रिश्तों में दरार सरहद पर सूचना के लिए तैनात ब्रांड छाप भारतीय अखबारों व न्यूज़ चैनल के कथित पत्रकार बिगाड़ रहे हैं। यह आरोप नेपाल के तरफ से है। शनिवार को सौनौली बॉर्डर पर नेपाली नागरिकों द्वारा सरहद पर तीन घन्टे आवागमन रोक दिया गया। इसके पूर्व भी सौनौली बार्डर की हरकतें ब्रांड छाप अखबार व ब्रांड छाप भारतीय न्यूज़ चैनल में चलती हैं। यह बहुत पुरानी प्रथा है। बैड इफेक्ट यह है कि बार्डर पर तैनात अवैतनिक व भारत-नेपाल रिश्तों से अंजान (10 पास-12 पास) के शिक्षा लेवल के लोग । लिखने पढ़ने के स्तर के बजाए ये भाजपा सांसद पंकज चौधरी, सपा के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह और गोरक्षनाथ मंदिर तक के पहुंच के नाम पर डींगें हांकते हैं । कई तो सज़ायाफ़्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के चेले भी बने फिरते हैं। पूर्व कबीना मंत्री हरीशंकर तिवारी के नाम पर भी जुगाड़ी पत्रकार बहुतेरे हैं। ओवरऑल मंशा दलाली है। गोरखपुर मंडल, या फिर यूपी हेड का जिम्मा लिए ब्रांड छाप अख़बार या टीवी चैनल का संपादक बने बैठे है। उनको खुद भारत-नेपाल सीमा पर आना चाहिए। ग्लोबल लेवल के सेंसटिव रिपोर्टिंग जोन को डीएम व एसपी के तेलाही छापों के आसरे नहीं छोड़ना चाहिए। पत्रकारिता चाहिए। भारत-नेपाल के ऐतिहासिक संबधों को ध्यान में रखते हुए। नेपाल के नागरिक आरोप लगा रहे हैं कि भारतीय एसएसबी नेपालियों के साथ सौनौली सीमा पर दुर्व्यवहार कर रही है। फिर इस बात का एक हलमा व माहौल बना कर इतर-तितर खबर फैलाने का सिलसिला बनाया जा रहा है। वह भी ऐसे कथित व प्लांट किए गए पत्रकारों द्वारा जो भारत-नेपाल के संबंधों की एबीसीडी तक नहीं जानते। एसपी-डीएम जैसे नौकरशाहों के पहचान तक सीमित में जूझ रहें हैं। ऐसे माहौल में चीन हंस रहा है। ख़ामोश हो जा रहा है। इस पूरे स्टंट को गंभीरता से मनन की जरूरत है। खासकर ब्रांड छाप कथित पत्रकारों को।
(नेपाल):रुपनदेही जिले के मर्चवार क्षेत्र में स्थित बगौली गांव व उसके आसपास के गांवों में रहने वाले कुछ युवक मोटरसाइकिल चोरी जैसे अपराध को पेशा बना लिए हैं। यह गिरोह कई महीनों से सक्रिय है। जो नेपाल में भी दहशत का पर्याय बने हुए हैं। इसमें से धर्मवीर व हरिद्वार […]