सत्ता पक्ष की द्वंदता , परेशान अधिकारी?

धर्मेंद्र चौधरी:

नौतनवा ब्लाक क्षेत्र के हरदी डाली गांव के चौराहा पर स्थित एक पोखरी इन दिनों खासी चर्चा में है। इस पोखरी के स्वामित्व को लेकर विवाद है। प्रशासनिक अमला करीब वर्ष भर से रह रह कर पोखरी की जांच में पहुंचता है। लेकिन नतीजा सिफर ही निकलता है। इधर हाल के दिनों में पुलिस व राजस्व विभाग की हरकत तेज हुई है। कई बार पोखरी पर भारी पुलिस फोर्स भी पहुंची है। लेकिन नतीजा हर बार की तरह होता है। प्रशासनिक कदम हर बार की तरह एक स्तर तक आ कर ठिठक जाते हैं।
पुलिस कहती है वह शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए आती है। राजस्व विभाग के अधिकारी कहते हैं कि जो न्यायालय का आदेश रहता है, उसके अनुपालन में कार्रवाई की जाती है।
लेकिन अब तक हुई प्रशासनिक हरकत में सिर्फ पोखरी पैमाइश के अलावा सिर्फ जमावड़ा ही हुआ है। ग्रामीण भी रह रह कौतुहल व दहशत में आ जा रहे हैं। सवाल भी उठा रहे हैं कि आखिर बार-बार प्रशासनिक कवायद सिर्फ जमावड़े तक ही सीमित क्यों है? जो इस बात को उपजाती है कि मामले में कहीं न कहीं सता पक्ष कुछ नेताओं की पैरवी है। जिस द्वंदता में अधिकारी परेशान हैं।

क्या है विवाद :

पोखरी स्वामित्व विवाद में एक पक्ष आशिक उर्फ झुल्लूर कुरैशी है, जबकि दूसरा पक्ष दीनानाथ, जगदीश साहनी समेत कई ग्रामीण हैं।
झुल्लूर कुरैशी का कहना है कि पोखरी उसकी संक्रमणीय भूमिधर है। पोखरी में मछलियां उसकी हैं। जिसे वह निकलवाना चाहता है। लेकिन कुछ ग्रामीण उसे रोक हैं।
जबकि दीननाथ, जगदीश साहनी वगैरह ग्रामीणों का कहना है कि भूमि को फर्जी तरीके से झुल्लूर ने अपने नाम कराया है।
मामले की कागजी लड़ाई न्यायालय में लंबित है।

क्या कहते हैं उपजिलाधिकारी:
शनिवार को पोखरी जांच में उपजिलाधिकारी जसधीर पहुंचे। दोनों पक्षों को बुलाया और न्यायालय के आदेश अनुपालन पर अमल कराने की बात कही। कहा विवादित भूमि पर स्टे है। कोई भी निर्माण या मिट्टी पटान नहीं होगी।
हालांकि पोखरी से मछली निकालने की बात पर उपजिलाधिकारी मौखिक स्वीकृति देकर चले गए। लेकिन एसडीएम के जाने के बाद मौजूद पुलिस के अधिकारियों ने यह कहा कि बिना लिखित आदेश के वह कोई भी इजाजत नहीं देंगे। उनका काम केवल शांति व्यवस्था बनाए रखना है।

क्या है ऊपरी खेल?


मामले की जमीनी तस्वीर तो उक्त है। लेकिन इसमें एक ऊपरी खेल भी है। जो रोचक है। चर्चाओं की माने दोनों पक्ष के पैरोकार सत्ता पक्ष के हैं। यह द्वंदता प्रशासनिक कदम ठिठकाव का एक प्रमुख कारण हो सकता है। मामले में कोई भी अधिकारी किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहता है। सबकी बाते अपने अधिकार क्षेत्र व नियम अनुरूप ही निकल रहीं हैं। कि जैसा न्यायालय का आदेश।
हालांकि पूरे प्रकरण में लोगों की निगाह इस तरफ भी है कि कौन सा सता पक्ष वाला बीस पड़ेगा।

फोटो- हरदी डाली गांव के चौराहे जुटा प्रशासनिक अमला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तुम मिलना मुझे

Sun Jul 5 , 2020
शोभा किरण जीवन पथ पर चलते चलते ,फूल मिलेंगे कांटे भी ,तेरी राहों के फूल सभी ,मैं चुन लूंगी पलकों से ,जब बो दूंगी आशा के बीज ,तब सुगंध बन तुम मिलना मुझे। जब मन से मन मिल जाते हैं ,तब तन का कोई मोल कहां ?मैं बंध बैठी जिस […]