धर्मेंद्र चौधरी की रिपोर्ट:
समाज में कुछ मामले ऐसे भी आते हैं। जो कई पहलुओं को नए सिरे अध्ययन व बदलाव की गुंजाइश के साथ-साथ सवाल भी पैदा करते हैं। अपराध, सम्मान, रिश्तों और भावनाओं के तानेबाने में एक ऐसी ही कवायद महराजगंज जिले के सोनौली कोतवाली क्षेत्र में हुई। कवायद पर नजर डालें 11 मई की शाम हरदी डाली गांव की एक बालिग व कुंवारी युवती अपने घर से लापता हो गई। दो दिन बाद युवती के पिता ने पुलिस के पास गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। 17 मई को शाम सोनौली पुलिस हैरान हो गई। वह युवती स्वयं पुलिस के पास हाजिर हो गई। यहां चौंकाने वाली बात यह थी युवती के साथ उसके माता-पिता, मामा और उसका एक कथित पति भी था और सभी के स्वर एक थे कि “साहब गुमशुदगी की रपट वापस लेने आए हैं”। “युवती बालिग है घर से भाग कर शादी कर ली, किसी को कोई आपत्ति नहीं है।”
सामान्यतः घर से भागी युवतियों के मामले में आ ही जाता है, और पुलिस भी ऐसे मामलों में सामान्यतः कार्रवाई करते हुए गुमशुदगी की फाइल क्लोज कर देती है। लेकिन यह कितना सही है? क्या कई अहम परिस्थितियों को नजरअंदाज किया गया? जिसमें अपराध की भी नजरंदाजगी कर दी गई। बालिग, प्रेम संबंध, सम्मान न जाए जैसे शब्द जाल की आड़ में अवैध संबंध, मजबूरी व भविष्य में होने वाले अपराध को बढ़ावा तो नहीं दिया गया? सवाल तो बनता है। युवती से, युवती के माता-पिता से, युवती के कथित पति से, युवती के मामा से और पुलिस से भी। यह जवाब किसके पास
कि आखिर किन परिस्थितियों में एक लापता कुंवारी युवती शादीशुदा होकर सामने आई? वह भी एक ऐसे व्यक्ति को पति मान जो पहले से शादीशुदा हो। सामाजिक नजरिये से यह कितना सही है?
गुमशुदगी की रपट दर्ज कराने वाला पिता खुद ही गुहार लगा रहा है कि साहब रपट वापस लेते हैं। घटनाक्रम में पुलिस को कहीं भी अपराध की आहट हुई या नहीं? सामाजिक नजरिये से उक्त सवालों के जवाब होने चाहिए थे। जो एक संदेश की तरह सामाजिक पटल पर जाता कि किन परिस्थितियों में गुमशदा की रिपोर्ट वापस हो जाती है?
कहीं उक्त प्रकरण में समाज के एक विकृतियों से भरे अंडरवर्ल्ड पर पर्दा डाला गया? बड़ा सवाल यह कि अगर ऐसे प्रकरणों की पुनरावृत्ति होती है तो असली जिम्मेदार कौन होगा?