भारत-नेपाल सरहद पर इन दिनों कनाडियन मटर तस्करी की बाढ़ सी आ गई है। नेपाल से लाई गई मटर की खेप महराजगंज जिले के सीमावर्ती गांव में डंप की जा रही है। फिर मोटरसाइकिल, पिकअप व ट्रक से मटर की खेप भारतीय शहरों में भेजी जा रही है। निचलौल क्षेत्र मटर तस्करों का सुरक्षित ठिकाना बन गया है। निचलौल क्षेत्र में हो रही तस्करी के इस खेल का स्टिंग ऑपरेशन किया गया। तो छिपे कैमरे में तस्करी में संलिप्त एक युवक ने कई खुलासे किए। तस्करी कैसे और किसके शह पर होती है,यह भी बताया। एक तस्कर गुट से निचलौल थाना की पुलिस तस्करी में छूट की एवज में एक लाख रुपया लेती है। कस्टम विभाग दो लाख रुपया वसूलता है। जबकि लमुआ व रेंगहिया पुलिस चौकी पर एक पिकअप तस्करी के मटर का 15 सौ रुपया लिया जाता है। तस्करी में संलिप्त व्यक्ति ने यह भी बताया कि सिर्फ बार्डर पर तैनात एसएसबी जवानों से डर रहता है। वह तस्करों से लाइन नहीं लेते हैं। बतादें कि कुछ माह पूर्व सरहद सटे लक्ष्मीपुर खुर्द गांव में कनाडियन मटर भरी 8 हजार बोरियों से भी अधिक की बरामदगी हुई थी। जिससे हो रही तस्करी की पोल खुली थी। उक्त बरामदगी में भी एसएसबी की भूमिका अहम रही। इसी तरह ठूठीबारी, परसामलिक , बरगदवा, सौनौली, नौतनवा व कोल्हुई थाना क्षेत्र में भी आए दिन कनाडियन मटर तस्करी के मामले एसएसबी व एसडीएम द्वारा पकड़े जा रहे हैं। यहां पुलिस व कस्टम विभाग शायद ही कभी तस्करी पर अंकुश लगाने का अभियान शुरू करती है। जो इस बात की तस्दीक करती है कि पुलिस व कस्टम रकम वसूली कर तस्करी को बल दे रहे हैं।
ग्रामीण पत्रकारों के हित में हर स्तर पर संघर्ष करेगा पीपीए -धर्मेंद्र त्रिपाठीगोरखपुर पूर्वांचल पत्रकार एसोसिएशन कैम्पियरगंज तहसील इकाई की बैठक तहसील प्रभारी अवधेश दूबे के निर्देशन में मड़हा गोकुली चौराहे पर सम्पन्न हुयी.बैठक को सम्बोधित करते हुए पीपीए कैम्पियरगंज तहसील इकाई के अध्यक्ष धर्मेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि ग्रामीण […]