भारत-नेपाल रिश्तों को कहां से मिल रही तल्ख़ी की हवा?

धर्मेन्द्र चौधरी

कोरोना काल से उपजी तमाम चुनौतियों से पूरा विश्व सामना कर रहा है। सभी देश की सरकारें अपनी अपनी सक्षमता व नीतियों से कोरोना व उससे निरंतर उपज रही विसंगतियों से पार पाने में जुटी हुई हैं।
भारत-नेपाल-चीन में इन दिनों एक अलग ही उद्गारिता का माहौल पनप रहा है। जिसमें तल्खियां हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यह माहौल मीडिया पटल पर अधिक है। राजनयिक बयानबाजी सीमित व संयमित है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इस तल्खियत को हवा कौन दे रहा है।
जाहिर है कि लड़ाई साम्राज्यवाद की है। चीन बेशक कहीं से चूक नहीं चाह रहा है।
1962 भारत-चीन युद्ध के बाद 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में चीन की भूमिका का इतिहास गवाह रहा। हालांकि उस समय भारत-पाकिस्तान दोनों ने आपसी सामंजस्य का परिचय देते हुए जिस तरह युद्ध विराम का समझौता किया। वह चीनी
साम्राज्यवादिता को बड़ा झटका था।
अब, नेपाल साम्राज्यवादी द्वंद की धुरी पर है। सीमा विवाद का अचानक उकेरे जाना और मीडिया के पटल पर विवाद को एक नए युद्ध के आगाज से जोड़ कर दिखाना कहीं न कहीं एक बड़े खांके व इशारे की आहट है।
ब्रिटिश-नेपाल सुगौली संधि 1816 को बार-बार नेपाल में उठाया जा रहा है। भारत-नेपाल मैत्री पूर्ण समझौता 1950 के संशोधन की मांग व पुनर्विचार जैसी बातें उठ रही हैं।
उक्त कवायदें निश्चित तौर पर इतिहास में दबे कुछ पन्नों को पलटने की कोशिश हो सकती है।
यह जिक्र भी आ सकता है कि भारत में 1857 की क्रांति जैसे माहौल को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने किस तरह का भूखण्डीय समझौता किया था।
नेपाल में मधेश देश की मांग को बाहरी कड़ी कत्तई नहीं माना जा सकता है।
भारत को बहुत ही संयमित नीति की जरूरत है। नेपाल से तल्खियत की हवा को समझने और उसका रुख मोड़ने की जरुरत है। यही चीज नेपाल को भी समझनी होगी। उसे भारत-चीन की “बफरता” को पूर्व की तरह बनाए रखना होगा। क्योंकि भारत-नेपाल का जुड़ाव राजनैतिक कम ऐतिहासिक, समाजिक व धार्मिक अधिक है। यह बात दोनों देशों के नागरिकों को भी समझनी होंगी और दूरी मिटाने वाले कारकों को एक बार फिर बताना होगा कि भारत-नेपाल रोटी-बेटी संबधों वाला देश है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान…

Wed Jun 10 , 2020
प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के कार्यक्रम इन्द्रधनुष को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान… कॅरोना काल मे जहाँ सामूहिक आयोजन बिल्कुल बन्द हैं, वहीं ऑनलाइन कार्यक्रम अपने चरम पर है।इसी क्रम में प्रेरणा दर्पण साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच के द्वारा कई तरह के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजन सम्पन्न किये जा रहे […]