मीडिया पंचायत न्यूज़ नेटवर्क/ धर्मेंद्र चौधरी:
कस्टम डीसी शशांक यादव बातों में बड़े स्ट्रिक्ट लगे। अपने कर्तव्य के प्रति। तस्करी के सवाल के बावत सुबूत के तलबगार हो गए।
तस्करी हो ही नहीं रही। अगर हो रही है तो सुबूत दें।
कस्टम की गश्ती दल पिछले एक वर्ष में स्वयं कितनी तस्करी मामले की बरामदगी की है। यह कौन बताएगा? निचलौल थाना क्षेत्र के लक्ष्मी पुर खुर्द में पकड़े गए हजारों बोरी बरामदगी मामले में कस्टम विभाग की भूमिका क्या थी। माल पकड़े एसएसबी-पुलिस, रटा-रटाया जुर्माना (राजस्व) मिले कस्टम को।
हरदी-डाली, खनुआ के रास्ते हो रही उर्वरक तस्करी सभी जान रहें हैं। कौन-कौन विभाग , पत्रकार लाइन ले रहे हैं। आम जनता व बच्चा-बच्चा जनता है। तमाम खबरें वायरल हुई। डीसी साहब को पता ही नहीं? ,,खैर उनका बड़ा डिपार्ट है। विदेशी कोयला,, लोहे की रैक,,ओवरलोड,,,अनलोड,,और केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के इर्द-गिर्द।
फिलहाल कस्टम विभाग के उच्चाधिकारी तस्करी का सुबूत मांग रहे हैं।
बिल्कुल मिलेगा। पहले कस्टम विभाग खुद तस्करी की परिभाषा व्याख्यायित करे? लाइन लेने का भी क्राइटेरिया बताए।
क्यों कस्टम विभाग के कर्मचारी पैसा लेते हैं, तस्करों से? पकड़े गए सामानों की नीलामी सार्वजनिक क्यों नहीं होती?
सवाल बहुतेरे हैं,,,। और यह भी की सुबूत कोर्ट में जाता है,, नौकरशाहों के पास नहीं।