: बेटी की पुकार :- “कविता”
“भोली – भाली, सीधी – साधी,
तेरे अंग से लिपटी हूँ।
अंश हूँ तेरी रूह का,
माँ मै तेरी बेटी हूँ।।

जन्म दिया है तूने मुझको,
फिर क्यूँ? मुँह फेर लिया।
छोड़ अकेला दुनिया में,
क्यों? मुझको यूं गैर किया।।
संसार बड़ा निर्देयी है माँ,
कोमल काया मेरी हैं।
डर लगता है लोगों से,
दे ममता की छांव मुझे माँ।।
कोख में रखकर तूने मुझे,
हर पल महसूस किया।
हुआ कसूर क्या, मुझसे बता माँ,
क्यों? अपने से दूर किया।।
आँख खुली जब अपने को,
झाड़ी और कचरे में पाया।
लहू – लुहान हुआ तन – मन मेरा,
ना थी तू, ना तेरी ममता की छाया।।
देख मेरा क्या हाल बुरा है,
दर्द से मै रोती हूँ।
अंश हूँ तेरी रूह का,
माँ मैं तेरी बेटी हूँ।।
नन्हीं – मुन्नी हर बेटी की,
है यही पुकार।
यूं ना खुद से दूर करो,
दो हमें भी प्यार।।
दो हमें भी प्यार
हांँ, दो हमें भी प्यार।। “” 😔😔
- : माया पचेरवाल :-
(शिक्षिका, सांगानेर जयपुर)
