लोहड़ी दी कहानी – पंजाबी लोक कथा
आप्पां सारयां नूं चाहि दा ऐ की आपने परिवार नूं “”लोहड़ी”” दा इतिहास दस्सिये-(सत्य उवाच)
“”लोहड़ी”” पर्व क्यों मनाया जाता है, इसके बारे में हमारी दादी जी ने हमें ऐतिहासिक कथा बताई थी| उस कथा के अनुसार, गंजीबार क्षेत्र (जो अब पाकिस्तान में है) में एक ब्राह्मण रहता था| जिसकी सुंदरी नामक एक कन्या थी जो अपने नाम की भांति बहुत सुंदर थी। वह इतनी रूपवान थी कि उसके रूप, यौवन व सौंदर्य की चर्चा गली-गली में होने लगी थी। धीरे-धीरे उसकी सुंदरता के चर्चे उड़ते-उड़ते गंजीबार के मुगल शासक तक पहुंचे। मुगल शासक सुंदरी की सुंदरता का बखान सुनकर सुंदरी पर मोहित हो गया और उसने सुंदरी को अपने हरम की शोभा बनाने का निश्चय किया। उसने सुंदरी के पिता को संदेश भेजा कि वह अपनी बेटी को उसके हरम में भेज दे, इसके बदले में उसे धन-दौलत से लाद दिया जाएगा। उस…
“मकर संक्रांति”
पर्व पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏
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हिन्दू धर्म के अनुसार हर त्योहार का अपना अपना विशेष महत्व है। प्रमुख त्योहारों में ऐसा ही एक त्योहार है मकर सक्रांति। यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है, अधिकतर यह त्योहार 14 जनवरी को ही मनाया जाता है जब सूर्य उत्तरायण होकर मकर (धनु राशि से मकर राशि) में प्रवेश करता है।तब मकर संक्रांति होती है। हर प्रान्त में इसका नाम और मनाने का तरीका अलग अलग है। आन्ध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी /मकर संक्रांति त्योहार को नई सफल के स्वागत में यह पर्व मनाया जाता है,संक्रांति से एक दिन पहले गाँव देहात, कस्बों में लोग सभी इक्टठे मिल मौसमी पर्व के रूप में मनाते हुए गोबर के उपलों संग बड़े बड़े लक्कड़ एक स्थान पर जलाते हैं और सभी लोग गाते हुए ढोलक की थाप पर नाचते हुए अग्नि का चक्कर लगाते है साथ में मूंगफली रबड़िया आपस में बांटते भी है और आहुति देते घूमते हैं॥किसानों के लिए यह पर्व इसलिए भी उल्लास और उत्साह का अवसर होता है क्योंकि समय परिवर्तन के साथ हाड़ कंपाती हवाऐं भी अलविदा होने लगती है,इसके अलावा कुदरत के प्रति आभार व्यक्त करने का त्यौहार भी माना जाता है। असम में इस त्योहार को बिहू के रूप में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भगवान सूर्य की उपासना का दिन है, इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान दान और सूर्य देव की अराधना प्रार्थना करते हैं। मकर संक्रांति पर पतंग भी उड़ाई जाती है, यही कारण है कि इसे काईट फैस्टीवल के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा पतंगबाजी सक्रियता का प्रतीक भी है क्योंकि संक्रांति का शाब्दिक अर्थ संचार या गति है। एक अन्य दार्शनिक पहलू भी यह है कि सर्दियों में आलस्य में जकड़ा शरीर कुछ गति पकड़ ले और पतंगबाजी करके शोरगुल करके ,मौजमस्ती, दौड़ भाग करके ,शारीरिक स्फूर्ति के साथ मानसिक आनन्द की प्राप्ति भी होती है। यही कारण है कि इस जड़ता को खत्म करने के लिए ही इस अवसर पर पतंग उड़ाने का रिवाज हमारी संस्कृति से जुड़ गया है। संक्रांति पर जब सूर्य एक गोलार्द्ध से दूसरे गोलार्द्ध की यात्रा कर रहा होता है तो इस दिन इसकी किरणों का सकारात्मक और औषधीय प्रभाव भी हमारे शरीर सेहत पर पड़ता है। लोहड़ी, मकर संक्रांति पर तिल गुड़ मूंगफली से बने सवादिस्स्ट ब्यंजन खाने का खूब आनन्द लिया जाता है। महाराष्ट्र में गन्ने की पहली फसल आने के कारण इस दिन घर घर में तिल गुड़ बना कर खाया जाता है। राजस्थान मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई राज्यों में दाल चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ से बनी गज्जक, रेवड़ियां आदि खाने का रिवाज है। पश्चिम बंगाल में चावल के आटे और खजूर गुड़ से बने पुली, पातीशाप्ता मिठाईयाँ बनाई जाती है, खाई और खिलाई जाती है। कई राज्यों में घेवर और फीणी भी खाते हैं बहनों बेटियों को भी भेजतें है।
हिन्दू संस्कृति में इस दिन दान पुण्य का विशेष महत्व है, सुपात्र को सभी अपनी अपनी सामर्थ्य/ शक्ति के अनुरूप तिल गुड़ का मीठा, चावल दाल, कपड़े ,नकदी आदि दान करते हैं।
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश🙏