हुई तुम्हारी सृष्टि दुखारी , कहां सो रहे हो बनवारी? रोग दोष व्याधियां तमाम ने, मानवता को घेरा, बोझिल पथ दि ग्भ्रांत पथिक हम, है चारों ओर अंधेरा। कौन लोक में हो मधुसूदन! क्यों सुन ना रहे यह चीख? निर्धन ,बेबस, बेघर लाचार, मांगते रहे प्राणों की भीख। अब कौन बसाएगा फिर आकर, उन मांओं की गोद , आंगन कई हो गए सूने , क्या तुम मना रहे हो मोद ? जब भी सज्जन साधु संत पर, संकट संताप बढ़ेगा , कौल(वचन) तुम्हारा था आओगे , जब धरती पर पाप बढ़ेगा। हुआ आज पूरित पाप घट , तुम फिर भी ना जागे , कौन कसर रह गई नाथ अब, क्या देखोगे आगे ? अब बजाओ शंख, उठाओ चक्र, देर मत करो; मुरारी ! भया क्रांत है सकल सृष्टि यह, कहां सो रहे हो बनवारी, कहां सो रहे हो बनवारी।
25मई 2020 कैम्पियरगंज, गोरखपुर।तहसीलदार शशिभूषण पाठक व थानेदार निर्भय नारायण सिंह ने उपनगर में बिना अनुमति के दुकानों के खोले जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए विधि सम्मत तरीके से दुकानों को बंद कराया।पुलिस व प्रशासन को देखते ही अनेक दुकानदार दुकान बंद कर वहा से फरार हो गए।तहसीलदार ने […]